Bey-tuki | ऑन द रॉक्स

    अस्पताल से निकलते ही उसने एक लंबी साँस भरी। मास्क के पीछे दिन भर क़ैद रही साँस जैसे अब जाकर उसके फेफड़ों से आज़ाद हुई हो। दिन भर के मरीज़, उनके रिश्तेदार, इंजेक्शन, दवाएँ, फाइलें — सब उसके ज़ेहन में हुजूम की तरह गूंज रहे थे। सड़क पर शाम के मामूल की अफ़रातफ़री…