Drama Review Hindi | Fraud | ARY Digital | Episode 24

फ़राड क़िस्त २4 तहरीरी अपडेट और जायज़ा

फ़ौरी ख़ुलासा

निसार ने शाज़ीया और नायल को माफ़ कर दिया है

माया और तबरेज़/शुजाअत का तक़रीबन आमना सामना होता है

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ये वाक़िया उस वक़्त शुरू होता है जब शुजाअत के वालदैन अपने बेटे के बारे में बात करते हैं, और किस तरह शुजाअत उनकी कोई परवाह नहीं करता है। जज़बाती मंज़र जो बहुत देर तक खींचता रहा

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शान और ज़ीमल का बाप बेटी का रिश्ता बहुत अच्छी तरह बताया गया है। शान की माँ ने फिर से तजवीज़ पेश की कि शान । चूँ कि ज़ीमल और माया की काफ़ी दोस्ती हो गई है, शान भी इस प्रोपोज़ल पर राज़ी हो जाता है। माया शुरू में इनकार कर देती है लेकिन ज़िंदगी में एक जुरात मंदाना क़दम उठाने पर राज़ी हो जाती है। हालाँकि उस की एक शर्त है। वो अपनी मुलाज़मत जारी रखेगी और अपने ख़ानदान की माली मदद करती रहेगी। ये कोई मसला नहीं है क्योंकि इस्माई माया को अपनी चीफ़ डीज़ाइनर के तौर पर रखना चाहती हैं

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अगरचे अस्मा बहुत समझदार सास लगती हैं, लेकिन दर असल वो कुछ गेम्ज़ खेल रही हैं। वो शान को माया के बारे में पूरी हक़ीक़त नहीं बताती। दूसरी तरफ़, वो माया को नहीं बताती कि शान को कोई औलाद नहीं है।

“क्या आप कारोबारी मुआहिदे से पहले अपने तमाम कारडज़ खोलते हैं? अस्मा ने पूछा।

शान कहते हैं “ये कोई कारोबारी मुआहिदा नहीं है। “ये ठीक नहीं है।

अस्मा-ए-कहती हैं “लेकिन ये अभी आसान है।

अस्मा को भूल जाओ। मुझे सबसे ज़्यादा परेशान करने वाली बात ये है कि निसार और शहनाज़ भी माया के बारे में इस बड़ी बात को छिपाने पर राज़ी हैं। ये ख़ानदान मुझे पागल लगता है।

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शुजाअत अपने मंसूबे का उगला हिस्सा अदा करता है इस के दोस्त उसे घर ख़ाली करने की धमकी देने आते हैं। अगले मंज़र को काट कर, शुजाअत तूबा के घर वालों के साथ चला जाता है। वो समझता है कि वो अपनी मंज़िल के क़रीब पहुंच गया है। अस्मा-ए-बाद में इस से बात करती है और शुजाअत को बताती है कि वो शान के कारोबार में उतनी ही दिलचस्पी रखती है जितनी शुजाअत। शुजाअत बहुत पुरजोश है, कम अज़ कम कहना।

“जैसे आप कहेंगे मामा, वैसा ही होगा।”

 

इस मंज़र ने मुझे गौहर नयाब की याद दिला दी जहां मैंने अस्मा-ए-और अहसन को माँ बेटे की जोड़ी का किरदार अदा किया था।

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Shabana Mukhtar