
हब्स क़िस्त28 तहरीरी अपडेट और जायज़ा
मेरा घर.. मेरी छत.. बस भी करें आंटी जी।।।
बासित और आईशा क़ुदसिया के साथ डिनर कर रहे हैं। क़ुदसिया ने हमेशा की तरह “अपनी छत का रोना रोने लगती हैं। बानो ने ऐन वक़्त पर बातचीत में ख़लल डाला और अपनी माँ को घसीट कर किचन में ले गई। इस लालची माँ की हरकतों पर ख़ुद को पुरसुकून रखेन पर बानो को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करना चाहूंगी। मैं होती तो अभी तक कहीं और जा कर रहने लगती।
क़ुदसिया यूं है मेरा घर.. मेरी छत.. मुझे चाहिए पैसा पैसा। बस भी करें आंटी जी।।। कितना भागेंगी पैसा के पीछे।
आईशा या बासित ने क़र्ज़ की दरख़ास्त के बारे में नहीं सुना जो बानो ने जमा किराया है लेकिन वो जल्द या बदीर करेंगे।
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सोहा सोहा है
जव्वाद ने बानो के बारे में सब कुछ सोहा को बता दिया। वो बताता है कि बासित और आईशा बिज़नस ट्रिप पर नहीं, हनीमून पर गए हैं, और ये कि बानो आईशा की बहन है और इसी वजह से जॉब मिली है। ये उस के पास हर इस बात का बदला लेने का मौक़ा है जो बानो ने किया था, हालाँकि बानो ने कुछ ग़लत नहीं किया था। जव्वाद कितनी आसानी से भूल गया है कि बानो ने इस की नौकरी बचाई थी जब कि बासित ने इस ऑफ़िस साईको जव्वाद को नौकरी से निकाल दिया था।
अब जब सोहा को बानो के बारे में पता चल गया है, तो वो उसे बानो की तज़लील करने का एक मौक़ा समझती है मेरी काफ़ी ले आओ, सलाम कहो, मेरी बात मानो, तुम्हारी माँ बीमार होने के बावजूद अपना काम ख़त्म किए बग़ैर घर मत जाना।
मैंने हमेशा कहानी में सोहा के किरदार पर सवाल उठाया था। अब मैं जानती हूँ कि वो इस कहानी में क्यों है वो मुझे ग़ुस्सा दिलाने के लिए मौजूद है।
आईशा उम्र सोहा का किरदार अदा कर के बहुत अच्छा काम कर रही है, मुझे तस्लीम करना चाहिए। क्या उसे देखकर ये दिल नहीं चाहता कि इस की आँखें नोच दूं? मैं जानती हूँ कि मेरा दिल बड़ा चाहता है।
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फ़हद के साथ कया मसला है
सोहा और फ़हद बाहर मिलते हैं, काफ़ी डेट शीट का माहौल होता है। ये दरअसल सोहा का काम है जो बासित की आईशा से अचानक शादी के बारे में मज़ीद तफ़सीलात हासिल करने की कोशिश कर रही है। फ़हद एक रट्टू तोते की तरह है जो बासित के बारे में वो सब कुछ सुनाता है जो वो जानता था। वो कैसा दोस्त है? बासित ने फ़हद पर भरोसा किया और इस पर एतिमाद किया। अगर उसे मालूम होता कि फ़हद उस के बारे में सब उगल देगा तो वो कुछ भी शेयर ना करता। जब बासित को पता चल जाएगा कि फ़हद ने किया-किया है तो वो क्या रद्द-ए-अमल ज़ाहिर करेगा? मुझे उम्मीद है कि उसे पता चल जाएगा।
मैं नहीं समझ सकती कि फ़हद के साथ मसला किया है? वो सोहा के लिए “तुम्हारा सबसे फ़रमांबर्दार बंदा क्यों हो रहा है।
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क्या ज़ोया पागल है
मैं कुछ नहीं किया..
अगे से ऐसा नहीं होगा। तुम्हें शिक़ावत का मौक़ा नहीं मिलेगा।
चोरी के इल्ज़ामात पर ये दोनों जुमले उस के जवाबात हैं। भई, या तो तुमने पैसे चोरी किए हैं या नहीं। आप इतने कंफ्यूज़ क्यों हैं? बेचारा आमिर, मुझे इस पर तरस आता है
ज़ोया ज़ोया हो रही है। वो अब भी नहीं मानती कि उसने बिल्क़ीस से पैसे लिए थे। वो अब भी आमिर के साथ बहुत बुरा बरताव करती है। ताहम, बिल्क़ीस ने ज़ोया पर बम गिरा दिया कि वो उस की गा-ए-ना को लू जस्ट के पास जाएं। अब आएगा मज़ा
लेकिन मुझे यक़ीन है कि ज़ोया और क़ुदसिया इसक़ात-ए-हमल करवाने के लिए कुछ “प्लान के बारे में सोचेंगी
PS: ज़ोया का फ़ोन पर अपनी वालिदा से किया गया तबसरा बहुत अहम था।
क़ुदसिया: मा से तबीयत तक नहीं पूछी। कितनी ख़ुद ग़रज़ हो।
ज़ोया “पूरी की पूरी आप पर गई हूँ।।।
कोई तो है जो क़ुदसिया को आईना दिखा रहा है.. वही ज़ोया है.. क्या आप इस लाईन के साथ आतिफ़ असलम की आवाज़ सन सकते हैं।
कोई तवे जो निज़ाम-ए-हस्ती चला रहा है, वही ख़ुदा है।
दिखाई भी जो ना दे नज़र भी जो आ रहा है, वही ख़ुदा है।
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मेरी प्यारी बानो
एक अच्छी बात ये थी कि तलाल की तरफ़ से बहुत कम सीन थे। वो ट्रैक मुझे सिर्फ अपने बाल खींचने और चीख़ने पर मजबूर करता है। मैंने आज बानो के बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन मेरे दिल में इस लड़की की बहुत इज़्ज़त है। खाने की मेज़ पर उसने जिस तरह से सूरत-ए-हाल को सँभाला, या उसने सोहा के ग़ुस्से से कैसे निमटाया, या जिस तरह से वो ऑफ़िस से बाहर निकली क्योंकि माँ (हती कि क़ुदसिया की तरह हर चीज़ और हर चीज़ से ज़्यादा अहम है। हर मंज़र ने मुझे इस से और भी पसंद करने पर मजबूर कर दिया। ओह, और बासित के साथ उस की गुफ़्तगु बिलकुल दरुस्त थी। बानो रोती नहीं थी, उसने अपने जज़बात को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया था। इस का मक़सद साफ़ था क़र्ज़ की मंज़ूरी। वो बासित की मदद या हमदर्दी नहीं चाहती थी। बानो मेरी फ़ेवरेट है।
जायज़ा और तबसरा
मैंने देखा कि जव्वाद और फ़हद दोनों सोहा के हाथ में कठ पुतलीयों की तरह थे। वो इस तरह थे चाहे कुछ भी हो जाये, मुझे इस औरत को बताना होगा कि मैं क्या जानता हूँ, वर्ना मेरी जान ख़तरे में है।
संजीदगी से? मेरे ख़्याल में मुसन्निफ़/हिदायतकार ये दिखाना चाहते हैं कि ख़वातीन गपशप में अकेली नहीं हैं। जिन मर्दों की ज़िंदगी नहीं होती , जो वेले होते हैं, वो भी गपशप लगाते हैं। इस से हम ख़वातीन का क़सूर निकल जाता है। लेकिन.. ये एक लंबी शॉट है। कौन इतना आगे सोचेगा कि सिर्फ ये साबित करने के लिए कि मर्द इतने ही घटिया और बदतमीज़ हैं।
बासित और आईशा ट्रिप पर जा रहे हैं.. मैंने महसूस किया कि ये मुनासिब है, और शायद दुबारा तरमीम/दुबारा शूटिंग का नतीजा है ताकि फ़िरोज़ ख़ान के सीन कम हो जाएं। मुसद्दिक़ ने सोचा होगा बासित को कहीं भेज देते हैं।
मेरा नज़रिया उस वक़्त टूट कर बिखर गया जब बासित इसी क़िस्त में वापिस आ गया। भेजा था तो थोड़ा लंबा ट्रिप कर देते हैं। इतना पैसा है इस के पास।
जब हब्स शुरू हुआ था तो मैंने नोट किया था कि ये एक दम घुटने वाली कहानी होगी। ये वाक़ई एक दम घुटने वाली कहानी है, लेकिन मुहब्बत की कहानी नहीं। सोहा की चालाक तबीयत से बस मेरा दम घुटने लगा। मुझे अपने आपको पुरसुकून करने के लिए चंद मिनट के लिए सांस लेने की मश्क़ करनी पड़ी। मैं इस ड्रामे के ख़त्म होने का इंतिज़ार कर रही हूँ। मेरा बस हो गया अब हब्स से, हर ड्रामे से। इस से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि वो कितनी अच्छी तरह से शुरू करते हैं, उनमें से अक्सर मेरा ख़ून खौलाते हैं। हब्स, फ़राड, कैसी तेरी ख़ुदग़रज़ी और काला डोरीया।।। चार ड्रामे और बस।।।
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ठीक है, फिर मिलते हैं।।।
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Shabana Mukhtar