
कैसी तेरी खुदगर्जी
कैसी तेरी खुदगर्जी की कहानी एक बिजनेस टाइकून शहरयार के बेटे के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे महक से प्यार हो जाता है, जो एक मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से है।
पाठ्यक्रम के दौरान कुछ अप्रिय घटनाएं होती हैं और महक शहरयार से नफरत करने लगती है; और चूंकि शहरयार का परिवार उसके रिश्ते को स्वीकार नहीं करता है, इसलिए कहानी और भी उलझ जाती है।
नाटक में उद्योग के कुछ सबसे बड़े नाम हैं।
लेखक: रादैन शाह
निर्देशक: अहमद भट्टिक
[स्रोत: एआरवाई डिजिटल टीवी]
You can read also my teaser review of Kaisi Teri Khudgarzi here: Teaser Review | Kaise Teri Khudgharzi | ARY Digital. And this post for Cast & Characters.
कैसी तेरी ख़ुदग़रज़ी क़िस्त25 का ख़ुलासा
हाँ जी।।। तो, महवश हस्पताल में दाख़िल है और दारा के इसरार के बावजूद, नवाब दिलावर शमशीर को मतला करने की इजाज़त नहीं देते
कैसी तेरी खुदगर्जी एपिसोड 26 लिखित अद्यतन और समीक्षा
निदा और अहसन की शादी एक पुरसुकून लेकिन पुरमुसर्रत तक़रीब में हुई।
शमशीर अपनी माँ को याद करता है और नवाब दिलावर को फ़ोन करता है। इस लम्हे हस्पताल में महवश ज़िंदगी की बाज़ी हार गई। शमशीर का फ़ोन दारा ने उठाया और शमशीर को माँ की बीमारी की इत्तिला दी। शमशीर जब हस्पताल पहुंचा तो काफ़ी देर हो चुकी थी।
शमशीर घर आता है। नवाब दिलावर अपने बेटे को गले लगाते हैं लेकिन महवश को देखने नहीं देते।
ये सरासर ज़ालिमाना है। एक बेटे को माँ का चेहरा ना देखने दुहना, बहुत नाइंसाफ़ी है। क्या इस्लाम इस बात की इजाज़त देता है? और फिर दारा शमशीर को घसीट कर घर से बाहर ले जाता है।
समीक्षा
ये क़िस्त काफ़ी सुस्त थी क्योंकि इस में जनाज़े और मातम के इलावा ज़्यादा कुछ नहीं दिखाया गया था। शमशीर का अपनी माँ के दुख में टूटना बिखरना इस क़िस्त की ख़ास बात रही।
नोमान, दानिश, आईशा, सब इस एपी सोड में बहुत अच्छे हैं। लेकिन दानिश बेहतरीन है।
मुझे एहसास है कि इन दिनों ड्रामों में इस्लामी इक़दार को बहुत कम दिखाया गया है। इस्लामी ड्रामे भी इस्लाम और मुस्लमानों को सही रोशनी में नहीं दिखाते। कोई ताज्जुब नहीं कि हम बतौर मुआशरा भटक रहे हैं।
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Shabana Mukhtar