Drama Review Hindi | Meray Humnasheen | Episode 43

GEO Meray Humnasheen Poster
GEO Meray Humnasheen Poster

 

 


मेरे हमनशीन

मेरे हमनशीन एक दिलकश दास्तान है जो ख़ाहिशमंद ख़ाबों, उम्मीदों और इक़तिदार के लालच के दरमयान जद्द-ओ-जहद को समेटती है

ख़ुजसता एक ज़हीन, फ़तीन लड़की है जिसका ताल्लुक़ एक क़दामत पसंद और रिवायती ख़ानदान से है जिसका ताल्लुक़ पहाड़ी इलाक़ों से है। डाक्टर बनने का उस का जज़बा उस के बचपन के सदमे से पैदा हुआ जब उसने ज़िंदगी के अवाइल में अपनी माँ को खो दिया। सेहत की देख-भाल की ख़िदमात में इन्क़िलाब लाने के लिए, ख़ुजसता का दिल उम्मीदों और ख़ाबों से भरा हुआ है। दूसरी तरफ़, ख़ुजसता का कज़न दरख़ज़ई एक गर्म सर और मग़रूर आदमी है जिसकी पसमांदा सोच उसे ख़ुजसता की आला तालीम के बारे में ग़ैर महफ़ूज़ बनाती है और उसे अपने क़ाबू में रखना चाहता है

एक पढ़े लिखे और ख़ुशहाल घराने से ताल्लुक़ रखने वाला, हादी मैडीकल स्कूल के आख़िरी साल में है और इस का बना हुआ तर्ज़-ए-अमल उसे अपने ग्रुप के साथीयों में अज़-हद मक़बूल बनाता है। एक ही कॉलेज में पढ़ते हुए, ख़ुजसता और हादी की पहली मुलाक़ात ही उनमें एक दूसरे के लिए मिले जले जज़बात पैदा कर दिए

डाक्टर बनने के ख़ाब में, क्या ख़ुजसता तमाम चैलेंजिज़ पर क़ाबू पा सकेगी? अपने ख़ानदान ख़ुसूसन दरख़ज़ई के मुसलसल दबाओ के बाइस, किया ख़ुजसता अपने ख़ाबों को पूरा कर पाएगी या वो मुहब्बत और ख़ाबों के शिकंजे में फंसी रहेगी

[Source: GEO Youtube Channel]

Credits

Writer: Misbah Ali Syed
Director: Ali Faizan
Produced by: Abdullah Kadwani & Asad Qureshi
Production House: 7th Sky Entertainment

#MerayHumnasheenEp43

#HarPalGeo

#Entertainment

मेरे हमनशीन क़िस्त ४३ तहरीरी जायज़ा और तबसरा

हस्पताल में ख़ुजसता का कोरा जवाब सुनने के बाद हुस्न-ए-इमरोज़ ख़ान से मुलाक़ात करता है। वो दरहक़ीक़त ख़ुजसता और हादी के बारे में बात करना चाहता था, लेकिन जब उसे दरख़ज़ई की मौत के बारे में पता चला है, इस में अपने मक़सद के बारे में बात करने की हिम्मत नहीं हुई। मुझे अच्छा लगा कि हुस्न को एक ऐसा आदमी दिखाया गया है जो दूसरों के जज़बात पर ग़ौर कर सकता है। एक ऐसे लड़का जो हमेशा अपने बारे में और सिर्फ अपने बारे में सोचता था, एक ऐसे लड़का जो अपने आपको अपनी राय और ख़्यालात का इज़हार करने से कभी नहीं रुकता था; ओह अब वो अमरो ख़ान के जज़बात का ख़्याल करते हुए अपनी बात कहने से रुक जाता है। हुस्न ने एक तवील सफ़र तै किया है। और इस के किरदार में ये तबदीली मुझे पसंद आई

इमरोज़ ख़ान भी उतना मासूम नहीं है। वो जानता है कि ख़ुजसता और हादी के दरमयान कुछ था। वो हुस्न से हादी का नंबर माहाई और बहन को मिलाने की साज़िश कर रहे हैं। सही है

हुस्न ने सीनीयर डाक्टर डाक्टर तलाल से मुलाक़ात की। डाक्टर तलाल ही ख़ुजसता के हस्पताल में कार्ड या लू जस्ट भेजने के भी ज़िम्मेदार हैं। हुस्न डाक्टर तलाल को क़ाइल करता है कि वो हादी को अमरीका से वापिस आकर शुमाली इलाक़ों के एक गांव में काम करने पर राज़ी करें। अब क्यों कि ये आख़िरी क़िस्त है, तो ज़ाहिर है कि हादी मान ही जाएगा
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हादी को डाक्टर तलाल का मैसिज मिला तो उसे याद आता है कि ख़ुजसता अपने इलाक़े में एक हस्पताल के लिए किया अज़ाइम रखती थी। बस फिर, हो गया फ़ैसला

हादी और शहरयार मिलकर सुबीका को सरप्राइज़ देते हैं, और हम हादी, सुबीका और हुस्न के दरमयान एक अच्छा और जज़बाती मंज़र देखते हैं। हादी ने आख़िर-ए-कार हुस्न को माफ़ कर दिया। क्रेडिट दोनों ही भाईयों को जाता है। ये हुस्न ही था जो माफ़ी मांगने का पहला क़दम उठाता है, लेकिन माफ़ करने के लिए हादी जैसे अच्छे आदमी की ज़रूरत होती है। उनके आपसी ताल्लुक़ को बहुत ख़ूबसूरती से दिखाया गया है, और एक बहुत अच्छा फ़ैमिली मूमैंट था

और फिर वो मंज़र जिसका बहुत इंतिज़ार किया जा रहा था जब हादी ख़ुजसता से मिलता है

रिबन काटने की तक़रीब मुख़्तसर मगर जज़बाती करने वाली थी

और, आख़िरी मंज़र में दिखाया गया है कि दोनों डाक्टर सबज़ वादीयों में टहल रहे हैं। भई वाह

तबसरा


ये आख़िरी क़िस्त इतनी दिलचस्प नहीं थी जितनी मैंने तवक़्क़ो की थी। लेकिन जैसा कि मैं पहले कह चुकी हूँ, मैं सिर्फ ये चाहती थी कि ये ड्रामा अब ख़त्म हो जाये। ४३ किस्तें, हद हो गई

इस ड्रामा का तफ़सीली जायज़ा बाद में आएगा

फिर मिलेंगे

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Shabana Mukhtar

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