Drama Review Hindi | Habs | Episode 25

हब्स क़िस्त25 तहरीरी अपडेट और जायज़ा

आओ बच्चों ये हब्स की २५ वीं क़िस्त का जायज़ा लेने का वक़्त है, हालाँकि में ऐसा बिलकुल भी में नहीं करना चाहती।

हब्स की हर क़िस्त मुझे इस को देखना छोड़ने पर मजबूर करती है। हब्स की हर क़िस्त मुझे क़ुदसिया का सर तोड़ देने पर उकसाती है। और, हब्स की हर क़िस्त मुझे इतना ताऊ दिलाती है कि मेरा दिल चाहता है मैं आईशा के चेहरे पर ज़ोरदार थप्पड़ मारों, इस क़दर ज़ोर से कि इस के दाइमी उदास तास्सुरात दर्द में बदल जाएं । ये क़िस्त मैंने रीलीज़ होने को दो घंटे बाद ही देख ली थी, लेकिन मुझे अपना ख़ून ठंडा होने के लिए चंद घंटे इंतिज़ार करना पड़ा। क्यों कि क़िस्त देखने के बाद मेरा ख़ून खोल रहा था

फ़हद की शादी

फ़हद की शादी हो रही है, और हम ख़ूबसूरत इनोशे अब्बासी को इस की बीवी के तौर पर देखते हैं।

उन्होंने मेरे पास तुम हो में भी एक जोड़े का किरदार अदा किया था। क्या वो हक़ीक़ी ज़िंदगी से मुताल्लिक़ हैं? ये जायज़ा पोस्ट करने के बाद में गूगल करूँगी।

आईशा पहले ही वहां मौजूद है, और इसी वक़्त जब बासित और सोहा एक साथ शादी लॉन में ऐन्ट्री करते हैं।

आईशा उन को देख कर ग़ुस्से में आ गई। वो वही करती है जो वो बेहतरीन करती है एक चेहरा बनाती है।

बाद में बासित और आईशा बात करते हैं और बेहस करते हैं मैं इसी बात पर ख़ुश थी कि कम अज़ कम कुछ बातचीत चल रही है, आख़िर-ए-कार। लेकिन, मुझे ये पसंद नहीं आया कि आईशा बासित के कही तमाम बातों को बिलकुल मुस्तर्द कर देती है। उनकी एक साथ तस्वीरें भी बनवाई जाती हैं। वाज़िह तौर पर देखा जा सकता है कि इस शादी में मसला किस का है। आईशा को सुधरने की ज़रूरत है।

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क़ुदसिया बदस्तूर मेरा ख़ून खोला रही है

क़ुदसिया ने साज़िश जारी रखी कि आईशा की शादी यावर से कर दी जाये, इस तरह उसे दूसरा घर मिल जाये। मेरा दिल चाहा उसे झिंझोड़ कर कहूं बेवक़ूफ़ औरत, माँ बनू, माँ बन कर सोचो। नायिका मत बनू। क़ुदसिया के बारे में पिछली क़िस्त के मेरी राय यहां एक-बार फिर लागू होती है। इस क़िस्त में, जब बासित घर आता है, तो वो उस के साथ बुरा सुलूक करती है, क्योंकि अब उस के पास अपने मुतालिबात पूरे करने के लिए गहिरी जेब वाला कोई और है। मैं अपने सख़्त अलफ़ाज़ के लिए वाक़ई माज़रत ख़ाह हूँ, लेकिन इस औरत ने मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं छोड़ा। क़ुदसिया बदतरीन माओं के चार्ट में सर-ए-फ़हरिस्त है।

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ज़ोया, ओ ज़ोया!

इस क़िस्त ने मुझे भी हैरत में डाल दिया क्या कोई हक़ीक़ी बहन ज़ोया जैसी कमीनी हो सकती है? वो क़ुदसिया का मुसलसल मज़ाक़ उड़ाती है, और आईशा का भी कि बासित वो आदमी नहीं है जिसे हर कोई उसे समझता था। वो शेख़ी मारती रहती है कि आमिर इस से प्यार करता है और इस पर पैसे की बारिश करता है (वो रक़म जो उसने चोरी की है)। वो वक़्त और जगह नहीं देखती। वो सिर्फ़ आईशा को नीचे दिखाना चाहती है। हक़ीक़ी बहनें आम तौर पर ऐसा नहीं करती हैं। ज़ोया शायद मुस्तसनियात हैं हम ऐसे ज़हरीले रिश्ते ड्रामों में क्यों दिखाते हैं? क्या हमारे पास पहले ही से निमटने के लिए काफ़ी गंदगी नहीं है।

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आईशा का रोना धोना, उफ़, मॉरो, मुझे मॉरो!!!

देखें, बात कुछ ऐसी है कि मैं किसी ऐसी बंदी को जानती हूँ जो हरवक़त उदास रहती है। जब से मैं वक़फ़े से वापिस आई हूँ, मैंने उस के चेहरा पर एक ही तास्सुर देखा है (जिसे अब तक़रीबन तीन महीने हो चुके हैं)। ये बहुत तपाने वाला हो जाता है आईशा भी ऐसा ही करती है। वो इस तरह है, “मेरी से ज़िंदगी ही बर्बाद हो गई है। मेरा शौहर नी मुझसे तलाक़ देने का सोचा है।”

सस, तुम ये क्यों नहीं देखतीं कि अब वो एक बदला हुआ आदमी है और इस्लाह की कोशिश कर रहा है? मैं इस बात से भरपूर इत्तिफ़ाक़ करती हूँ, बासित का सोहा के साथ वक़्त गुज़ारना आईशा को अच्छा नहीं लगता, उस के दिल को गिरां गुज़रता है, और बासित एक बेवक़ूफ़ था जो किसी दूसरी औरत के साथ पार्टी में आने पर राज़ी हो गया। लेकिन इस का ये मतलब नहीं कि उसे सोहा में दिलचस्पी है। क्या आईशा बिलकुल वही नहीं कर रही जो बासित ने किया? बासित ने आईशा को फ़हद के साथ वक़्त गुज़ारते देखा और समझा कि उनका कोई अफ़ीयर है। आईशा ऐसा ही कर रही है। ये वो जगह है जहां में सबसे ज़्यादा हीरोइन से नफ़रत करने पर मजबूर हो जाती हूँ। इतनी कोई समझदार हीरोइन होती ना, तो वही ग़लती ना करती।

और, इस के लटका हुआ मुँह का क्या माजरा है? अगर मैं आईशा के हर बार चेहरा बनाने पर स्क्रीन शॉट लेती तो मेरा एसडी कार्ड अब तक भर चुका होता। वो ऐसी लगती है जैसे उसे हरवक़त क़बज़ रहती हो। आईशा ऐसा किरदार नहीं है जो कभी मेरी समझ में आए, ना में उसे पसंद कर सकती हूँ, लेकिन मुझे लगता है कि इस में एक हद तक एषणा शाह की भी ग़लती है। वो आख़िर कब तक में बहुत अच्छी थी, हालाँकि उस का पाओट मुझे हमेशा परेशान करता था। इस ड्रामे में, ताहम, उनकी अदाकारी इतनी अच्छी नहीं है।

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बानो, इस ड्रामे में मेरी पसंदीदा

मुझे वो मंज़र पसंद आया जहां बानो ड्राई लाईन पर कपड़े डाल रही है। इस का दुपट्टा उस की कमर के गर्द बंधा हुआ था, वो पूरी घरेलू लग रही थी। हमेशा की तरह, वो आईशा के ज़िद्दी सर में कुछ एहसास डालने की कोशिश करती है। ओह, वो इतनी सच्ची कोशिश करती है, लेकिन आईशा बहुत ज़िद्दी है।

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जैंटलमैन बासित

जहां तक बासित का ताल्लुक़ है, मेरे ख़्याल में वो इस क़िस्त में बहुत शांत रहा और उसने आईशा की बात को समझने की कोशिश की। वो अच्छा था, उस का बरताव अच्छा था, और उसने आईशा से बात करने की हर मुम्किन कोशिश की (जो आईशा ने सुनी ही नहीं)। वो आईशा को लेने घर आया, और क़ुदसिया के साथ शाइस्ता रहा, यहां तक कि क़ुदसिया की बातें हद से तजावुज़ कर गईं। मुझे उस का मौक़िफ़ पसंद आया। बीवी की माँ है, इस का मतलब ये नहीं है कि वो उस की सारी बकवास सन ले।

कोई भी हो, मुझे अभी तक समझ नहीं आ रही है कि वो सोहा से क्यों इतना मिल रहा है। क्या उसे एहसास नहीं है कि वो बिलकुल वही कर रहा है जो आईशा ने किया था और उन्हें अलग कर दिया था? एक-बार जब आईशा ने कहा कि वो सोहा को पसंद नहीं करती, तो उसे सोहा के साथ बैठ कर उसे ये नहीं बताना चाहीए कि वो आईशा को एक-बार तलाक़ देने का इरादा रखता है। ये देखना बहुत परेशानकुन था, लेकिन मैं तबसरा करने वाला कौन हूँ? कौन से ये मेरा ड्रामा है।

ठीक है, फिर मिलते हैं।।।

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Shabana Mukhtar