Introduction:
Alright, the Hindi Edition is out. It took me three weeks, but hey.
I hope readers enjoy it as much as I enjoyed writing it.
The book is free for Kindle Unlimited subscribers and costs only Rs. 50 (USD 0.99). Please buy, read & review and spread the word.
Thank you!
Shabana Mukhtar
Title:
कहीं किसी रोज़ (हैप्पिली एवर आफ्टर #८)
Summary:
जैसमीन एक अच्छी जॉब मिलने के बाद पूना शिफ्ट हुई है और साथ ही उस का इंडिपेंडेंट होने का सपना भी पूरा हो गया है। मिजाज से थोड़ी बेचैन शक्ति और अकडू टाइप की लड़की है। मां का असर उस पर इतना ज्यादा है कि उसकी मर्जी के बिना एक काम भी नहीं कर सकती। वह अब भी सुबह शाम अपनी मां से फोन पर बात करती है और उसके कहने पर हर मंदिर मस्जिद और दरगाह का चक्कर लगाती है।
कबीर 6 साल तक एक ही कंपनी में जॉब करने के बाद अच्छी और बेहतर नौकरी के लिए पुणे शिफ्ट हुआ है बहुत बिंदास, खुशमिज़ाज और ठंडे में ठंडे दिमाग़ का लड़का है। आम इंसानों से गुना मीना और बात करना ज्यादा पसंद था बजाय सोशल मीडिया पर गैरों से दोस्ती करने के।
दोनों एक मज़ार पर जाते वक़्त मिलते हैं।
एक क्यूट और मज़ाहिया कहानी, दो दिलचस्प और एक दूसरे के उलट किरदारों की।
क्या दोनों पर्सनैलिटी क्लेश होने की वजह से एक दूसरे को नापसंद करेंगे?
क्या दोनों opposite attracts का असर होगा और दोनों में प्यार हो जाएगा?
क्या वो दोनों फिर कभी मिलेंगे?
शायद, किसी दिन, कभी न एक छोटी सी कहानी है जो अलग से पढ़ी जा सकती है। “और वह हंसी ख़ुशी रहने लगे” थीम की यह आठवीं कहानी है। कहानी की ज़बान और कंटेंट साफ सुथरा है और हर किसी के पढ़ने के लिए मुनासिब है।
Date published: 20th of July 2019